अलाउद्दीन खिलजी कौन था ?
अलाउद्दीन दिल्ली का पहला सुल्तान था, जिसने धर्म पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया। इस संदर्भ में अपनी नीति की व्याख्या हुए वह स्वयं कहता है कि, “मैं नहीं जानता कि कानून की दृष्टि से क्या उचित है और क्या अनुचित ? मैं राज्य की भलाई अथवा अवसर विशेष के लिए जो उपयुक्त समझता हूं, उसी को ही करने की आज्ञा देता हूं, अंतिम न्याय के दिन मेरा क्या होगा, मैं नहीं जानता।” अलाउद्दीन ने राजपद के विषय में | बलबन के विचार को पुनः जीवित किया । वह राजा की सार्वभौमिकता में विश्वास रखता था, जो पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि मात्र है। उसने अपनी शक्ति की वृद्धि के विषय में खलीफा की अनुमति लेना आवश्यक नहीं समझा। इसलिए उसने खलीफा से अपने पद की मान्यता प्राप्त करने के संबंध में कोई याचना नहीं की। उसने अपने आपको ‘यामिन-उस-खिलाफत नासिरी अमीर-उल-मुमानिन’ बताया। इस प्रकार अलाउद्दीन दिल्ली का पहला सुल्तान था, जिसने धर्म को राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने दिया। अलाउद्दीन उलेमा वर्ग के प्रभाव से मुक्त रहा।
जियाउद्दीन बरनी सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी यह कथन कहा था:- ‘जब उसने राजत्व (Kingship) प्राप्त किया, तो वह शरियत के नियमों और आदेशों से पूर्णतया स्वतंत्र था।” बरनी ने यह कथन किस सुल्तान के लिए कहा।