अलंकृत बागवानी से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विकास इतिहास पर प्रकाश डालिए
अलंकृत बागवानी:- अलंकृत बागवानी एक विज्ञान एवं कला है। जिसमें अलंकरण सौन्दर्य एवं सौम्यता के लिए पौधे उगाते हैं। अलंकृत बागवानी सभ्यता का प्रतीक है। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे तो मनुष्य द्वारा सजावट के लिए पौधों का उपयोग बढ़ता गया। इसकी विवेचना हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं।
भारत में विकास:- भारत में वैदिक काल से पहले की सिन्धु घाटी की सभ्यता में मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा में किये गये उत्खनन से मिले बर्तनों पर वेलदूटों एवं पुष्पों के चित्र हैं। महाराजा हरिश्चन्द्र गाथा में रोहिताश द्वारा पूजा के लिए फूलों को एकत्रित करने का वर्णन है। रामायण में पंचवटी का सुन्दर वर्णन मिलता है। रावण ने सीता को अशोक वाटिका में रखा गया।
महात्मा बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ।
महाराजा अशोक ने 273-223 ई. पू. सड़कों के किनारे छायादार आम एवं बरगद के वृक्ष लगाये। अशोक के स्तम्भ में चक्र एवं कमल का फूल बना है।
कनिष्क 78 – 101 ई. बौद्ध धर्म को मानने वाला था। उसने बौद्ध विहार तथा स्तूप बनवाये। उसने बौद्ध तथा स्तूप बनवाये।
महाकवि कालीदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम तथा प्राकृतिक सौन्दर्य तथा पुष्पों का अति सुन्दर वर्णन किया। कण्व ऋषि का आश्रम फूलों वाले वृक्षों पौधों एवं लताओं से वर्णन किया। शकुन्तला के गले को कमलनी तथा दाँतों को चमेली के फूलों के समान बताया।
इंगलिश बगीचे में मुख्य ध्यान फूलों के रंग पौधों को विभिन्न प्रकार उनके प्रजनन एवं वृद्धि लान पर जोड़ दिया। जो शाकीय पट्टी तथा झाड़ीय पट्टी। जापानी उद्यान शैली सबसे सुन्दर सबसे विकसित हैं। इसमें प्राकृतिक सौन्दर्य का समावेश अत्यधिक सुखद एवं शक्ति प्रदान करने वाला होता है। जापानी लैंड स्केप गाडीन्स शैली संसार के सभी देशों में अपनायी जा रही है।